अय्यूब 3
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version
अय्यूब क उ दिना क कोसब जब उ जन्मा रहा
3 तब अय्यूब आपन मुँह खोलेस अउर उ दिन क कोसइ लग जब उ पइदा भवा रहा। 2 उ कहेस:
3 “जउने दिन मइँ पइदा भवा रहेउँ, बर्बाद होइ चाही रहा।
उ राति कबहुँ न आइ होइ चाही जब उ पचे कहे रहेन कि ‘एक ठु लरिका’ पइदा भवा अहइ।
4 उ दिन अँधियारा स भरा जाइ चाही रहा।
परमेस्सर उ दिन क बिसारि जात चाही रहा।
उ दिन प्रकास न चमका चाही रहा।
5 उ दिन अँधियारा स पूर्ण बना होत चाही रहा जेतना कि मउत अहई।
बादर उ दिन क घेरे रहतेन चाही रहा।
जउनो दिन मइँ पइदा भवा करिया बादर प्रकास क डेरवाइ क खदेर देतेन चाही रहा।
6 उ राति क गहिर अँधियारा जकरि लेइ,
उ राति क गनती न होइ।
उ राति क कउनो महीना मँ सामिल जिन करा।
7 उ राति कछू भी पइदा न करइ।
कउनो भी आनन्द क ध्वनि उ राति क सुनाइ न देइ।
8 सराप देइ मँ माहिर मनइयन क उ मनइयन क साथ जउन लिब्यातान[a] क जगवाइ मँ सामर्थ अहइ,
क उ दिना क सराप देइ दया जउन दिना मइँ पइदा भएउँ।
9 उ दिन क साँझ तारा करिया पड़ जाइ दया।
उ रात भिन्सारे क रोसनी बरे तरसइ अउर उ प्रकास कबहुँ न आवइ दया।
उ सूरज क पहिली किरन न लखि सकइ।
10 काहेकि उ रात मोका पइदा होइ स नाहीं रोकस।
उ रात मोका इ सबइ कस्ट झेलइ स नाहीं रोकेस।
11 मइँ काहे नाहीं मरि गएउँ जब मइँ पइदा भवा रहेउँ?
जन्म क समइ ही मइँ काहे नाहीं मरि के बाहर आए रहेउँ?
12 काहे मोर महतारी गोदी मँ मोका राखेस?
काहे मोर महतारी क छतियन मोका दूध पियाएन।
13 अगर मइँ तबहिं मरि गवा होतेउँ जब मइँ पइदा भवा रहेउँ
तउ अब मइँ सान्ति स होतउँ।
अगर अइसा होतेन मइँ सोवत रहतेउँ अउर आराम पउतेउँ।
14 राजा लोगन अउ बुद्धिमान मनइयन क संग जउन पृथ्वी पइ पहिले रहेन।
ओन लोग आपन बरे ठउर जगह बनाएन, जउन अब नस्ट होइक मिट चुका अहइँ।
15 मोका ओन सासक लोगन क संग दफनावा जात रहतेउँ
जउन सोना-चादी स आपन घर भरे होतेन।
16 मइँ गर्भपात मँ ही मरि जात रहतेउँ।
मइँ दिन क प्रकास नाहीं देखि रहतेउँ।
17 दुट्ठ जन दुःख देब तब तजि देत ही जब उ पचे कब्र मँ होत ही
अउर थके लोग कब्र मँ आराम पावत हीं।
18 हिआँ तलक कि बंदी भी सुख स कब्र मँ रहत हीं।
हुआँ उ पचे आपन अत्याचारियन क आवाज नाहीं सुनत हीं।
19 हर तरह क लोग कब्र मँ रहत हीं चाहे उ पचे महत्व नामा होइँ या साधारण।
हुआँ दास आपन सुआमी स छुटकारा पावत ह।
20 “अइसे मनई क प्रकास काहे देत रहा जउन दुःख झेल रहा ह?
अइसे मनई क काहे जिन्नगी देत रहा ह जेकर जिन्नगी कडुवापन स भरा रहत ह?
21 अइसा मनई मनइ चाहत ह मुला ओकर मउत नाहीं आवत।
अइसा दुःखी मरई मउत पावइ क उहइ तरह तरसत ह जइसे कउनो छुपे खजाना बरे।
22 अइसे मनइयन कब्र पाइके खुस होत हीं
अउर आनन्द मनावत हीं।
23 परमेस्सर ओनसे ओनकर भविस्स छिपाए राखत ह
अउर ओनकर चारिहुँ कइँती सुरच्छा बरे देवार खड़ी करत ह।
24 मोर गहरी उदासी मोर बरे रोटी बन गवा ह।
मोर विलाप जल धारा क तरह बाहेर फूट पड़त ह।
25 मइँ जउने डेराउनी बात स डेरात रहेउँ कि कहुँ उहइ मोरे संग न घटि जाइ अहइ मोरे संग घटि गइ।
अउर जउने बाते स मइँ सबन त जियादा डरेउँ, उहइ मोरे संग होइ गइ।
26 नही मइँ सान्त होइ सकत हउँ, न ही मइँ आराम कइ सकत हउँ।
मइँ बहोत ही विपत्ति मँ हउँ।”
Footnotes
- 3:8 लिब्यातान होइ सकत ह इ एक ठु भारि भरकम समुद्री दैत्य रहा। पुराने जमाने क साहित्य क अनुसार, परमेस्सर लिब्यातान क खिलाफ लड़त रहेन अउर एका सर्जन क सुरू मँ ही हराए दिहेन। लोग सोचत कि एकर मदद स सुर्य ग्रहन पइदा करत रहेन।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.